हर दिल लुभा रहा है, यह आशियाँ हमारा

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  • हर दिल लुभा रहा है, यह आशियाँ हमारा
    हर शय से दिलनशी है, यह बागबाँ हमारा

    हर रंग-ओ-खुशबुओं से हर सूं सजा हुआ है
    गुलशन सा खिल रहा है, हिन्दोस्ताँ हमारा

    हो ताज-क़ुतुब-साँची, गांधी-अशोक-बुद्धा
    सारे जहाँ में रौशन हर इक निशाँ हमारा

    हिंदू हो या मुसलमाँ, सिख-पारसी-ईसाई
    यह रिश्ता-ए-मुहब्बत, है दरमियाँ हमारा

    सारे जहाँ में छाया जलवा मेरे वतन का
    हर दौर में रहा है, भारत जवाँ हमारा

    हमने सदा उठाया इंसानियत का परचम
    हरदम ऋणी रहा है, सारा जहाँ हमारा

    - शाहनवाज़ 'साहिल'

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