ग़ज़ल: नयन उनके जबसे हमें भा गए हैं




नयन उनके जबसे हमें भा गए हैं
वो तबसे निगाहें चुराते गए हैं

हर इक शाम कटती थी कूचे में मेरे
कहीं और के रास्ते भा गए हैं

वो यूँ जाने वाला कहाँ तक चलेगा,
जो हरसू लगेगा कि हम आ गए हैं

हुई महफ़िलों में तबाही की बातें
जो पर्दा उठा करके वोह आ गए हैं

मेरी आशिकी की कशिश देखिये तो
नज़र नीची करके वो शरमा गए हैं

अभी तक थे मशहूर जलवे सनम के
मगर आज अपने गज़ब ढा गए हैं

- शाहनवाज़ 'साहिल'





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टीम अन्ना का राजनीती में स्वागत है

टीम अन्ना के राजनीती में आने का स्वागत होना चाहिए, फिर इसके चाहे सद्परिणाम निकलें या दुष्परिणाम, कम से कम ज़िम्मेदारी तो होगी. अभी तो जो दिल ने चाहा कह दिया, जो मन में आया कर दिया. लेकिन टीम अन्ना को राजनीती में आने के बाद बात की गंभीरता का अहसास होगा, क्योंकि जो बोला जाएगा उसे कर दिखाने का मौका भी मिल सकता है. इसलिए हवा-हवाई की जगह तौल-मौल के बोलना पड़ेगा.

किसी भी बात पर अड़ने के मैं पहले भी खिलाफ था, हमारा काम प्रदर्शन करना, लोगो को जागरूक करना, सरकार को अपने मुद्दों पर गंभीरता से विचार करने के लिए विवश करना होना चाहिए. सरकार जो भी कार्य करती है उसके अच्छे या बुरे परिणामों पर उसकी ज़िम्मेदारी होती है, इसलिए संविधानी मर्यादाओं के अंतर्गत उसे किसी भी फैसले को करने या करने का हक़ होना चाहिए... साथ ही साथ जनता में भी जागरूक होकर अपने खिलाफ फैसले करने वाली सरकार को उखाड फैकने का माद्दा होना चाहिए.

राजनैतिक सिस्टम को सुधारने का यही एकमात्र तरीका है...

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