अबकी बार, कैसी सरकार?

लोकसभा इलेक्शन ख़त्म हुए 7 महीने से ज़्यादा समय हो चुका है। भाजपा का नारा था कि "बहुत हुआ भ्रष्टाचार, अबकी बार मोदी सरकार"...

तो अब तो सरकारी दफ्तरों में बिना रिश्वतों के काम होने लगा है ना? पुलिस बिना रिश्वत के ही काम करने लगी हैं और नगर निगम वाले भी सुधर गए हैं? नहीं?

"बहुत हुआ नारी पर वॉर, अबकी बार मोदी सरकार"... मतलब महिलाएं पूर्णत: सुरक्षित हैं? अब उन्हें बलात्कार का दंश नहीं झेलना पड़ता है? भाजपा और उसकी सरकार के द्वारा नारी पर अत्याचार करने वालों से सख्ती से निपटा जा रहा है? नहीं?

"बहुत हुई महंगाई की मार, अबकी बार मोदी सरकार"... अब दवाइयाँ, सब्ज़ियाँ, अनाज, दालें, फल इत्यादि-इत्यादि बेहद सस्ते हो गए हैं? अस्पतालों, डॉक्टरों की फीस तो आधी रह गई है?

"बहुत हुआ घौटालों का व्यापार, अबकी बार मोदी सरकार"... मतलब सरकार / भाजपा ने घौटाले के आरोपियों को जेल / बाहर का रास्ता दिखा दिया है? कम से कम पार्टी में तो अब एक भी दाग़ी नेता नहीं है? हैं ना?

"बहुत हुआ रोज़गार का इंतज़ार, अबकी बार मोदी सरकार"... आज हालात यह है कि नौजवानों के लिए रोज़गार की बाढ़ आ गई है, तनख्वाहें तक कई गुना बढ़ गई हैं? क्या कहते हैं?

"बहुत हुआ किसानों पर अत्याचार, अबकी बार मोदी सरकार"... मतलब अब तो देश में किसानों की मुश्किलें हल हो ही गई हैं? उनकी आर्थिक स्थिति में ज़बरदस्त सुधार आ गया हैं ना? कम से कम उनकी आत्म हत्याएँ तो बंद हो ही गई होंगी? नहीं?

कालेधन से जन-जन को धनवान करने का वादा था, 15 लाख रूपये की बात थी... कम से कम लोगों को पहली क़िस्त तो मिल ही गई होगी? है कि नहीं?

क्योंकि सुना है जादू अभी तक चल रहा है..




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नए साल का है तोहफा, ख्वाबों का खुमारों का



आया  है नया मौक़ा, रौशन से सितारों का
नए साल का है तोहफा, ख्वाबों का खुमारों का

ऑवसम है बड़ा मौसम, गुलज़ार चमन सारा
चहकी हैं सभी कलियाँ, मौसम है बहारों का

नई ऐसी फ़िज़ा झूमे, रौशन हो हर इक चेहरा
ए काश चलन निकले, ढहने का दीवारों का

- शाहनवाज़ 'साहिल'



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