निकाह की 'हाँ'



हमारे देश के मुस्लिम समुदाय में विशेषकर उत्तर भारत में लड़कों और खासकर लड़कियों से शादी से पहले अकसर उनकी मर्ज़ी तक मालूम नही की जाती है, एक-दुसरे से मिलना या बात करना तो बहुत दूर् की बात है... रिश्ते लड़के-लड़की की पसंद की जगह माँ-बाप या रिश्तेदारों की पसंद से होते हैं. ऐसी स्थिति में निकाह के समय काज़ी के द्वारा 'हाँ' या 'ना' मालूम करने का क्या औचित्य रह जाता है???


शादी के बाद पति-पत्नी विवाह को नियति समझ कर ढोते रहते हैं और हालत से समझौता करके जीवनी चलाते है...

मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम‌) ने शादी का प्रस्ताव देने वाले को वसीयत की है कि वह उस महिला को देख ले जिसे शादी का प्रस्ताव दे रहा है। मुग़ीरा बिन शोअबा रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्होंने एक औरत को शादी का पैगाम दिया तो इस पर नबी (स.) ने फरमाया:

 
“तुम उसे देख लो क्योंकि यह इस बात के अधिक योग्य है कि तुम दोनों के बीच प्यार स्थायी बन जाये।’’
इस हदीस को तिर्मिज़ी (हदीस संख्या: 1087) ने रिवायत किया है और उसे हसन कहा है तथा नसाई (हदीस संख्या: 3235) ने रिवायत किया है।

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केजरीवाल जी, यह वक़्त ज़िम्मेदारी निभाने का है

यह वक़्त ज़िम्मेदारी से भागने का नही बल्कि ज़िम्मेदारी निभाने का है. लोकसभा चुनाव नजदीक हैं और अगले 6 महीने में जनता से जो वादे किए हैं उनकी झलक दिखाई जा सकती है. लोकपाल लागू किया जा सकता है, बिजली के दाम कम किए जा सकते हैं, पानी मुफ्त किया जा सकता है, भ्रष्टाचारियों / काला बाज़ारियो पर लगाम लगाई जा सकती है, और सबसे बढ़कर तो यह कि सामाजिक स्तर पर जागरूकता फैलाई जा सकती है. तो फिर आगे बढ़ते क्यों नही?


क्यों नही 'आप' के नव-निर्वाचित विधायक आज से ही सड़कों पर उतरते हैं, यह देखने के लिए कि कहीं सरकारी अस्पतालों में गरीबों को इलाज से वंचित तो नही किया जा रहा है? कहीं पुलिस थानो में आम आदमी की शिकायतों को अनदेखा तो नही किया जा रहा है? दफ्तरों में रिश्वत का जो निज़ाम चलता है, उससे लोगो को बचाने की कोशिश करनी चाहिए. उनको देखना चाहिए कि कहीं सड़कों पर ट्रैफिक पुलिस जाम हटाने की जगह आज भी चालान का डर दिखा कर अपनी जेबें तो नही भर रही है? आज भी सड़कों पर अवैध पर्किग के द्वारा जनता को परेशान किया जा रहा है, दुकानदारों के द्वारा सड़कों पर अवैध कब्जा किया जा रहा है, ऐसे में इनका फर्ज़ है कि ध्यान दें कि शिकायत संबंधित विभागों में की जा रही है और एक्शन लिया जा रहा है या नही?

आम आदमी ने आपकी तरफ़ उम्मीद की निगाह से देखा है, उनकी उम्मीद की लौ को बुझने से बचाने के लिए कमर कसिये टीम अरविंद! योजना बनानी शुरू करिये कि कैसे आपके क्षेत्र में ट्रैफिक जाम से छुटकारा दिलाया जा सकता है? कहाँ-कहाँ सड़कों पर गड्डों की एमसीडी में शिकयत तक नही हुई हैं? कहाँ पर बिल्डर पैसा खिला कर गैर-कानूनी कम कर रहे हैं? इन सब या इन जैसी अनेकों परेशानियों से आम आदमी को निजात दिलाने की ईमानदार कोशिश के लिए किसी काँग्रेस या भाजपा से समर्थन की ज़रूरत नही है...

हालाँकि सरकार बनाने के लिए भी किसी दल के समर्थन की आवश्यकता नही है बल्कि आज की स्थिति के अनुसार दूसरे दलों को आपकी सरकार गिरानी पड़ेगी, जो किसी भी दल के लिए कम से कम अगले लोकसभा चुनाव से पहले तो संभव नही है. और यही मौका है यह दिखाने का कि बात केवल वादों, प्रदर्शन की नही थी बल्कि ज़मीन पर उनको हक़ीक़त में बदलने का इरादा था. अगर काँग्रेस या भाजपा आपकी सरकार गिराने की कोशिश करेंगे तो ख़ुद अपनी स्थिति ही खराब करेंगे. और फिर कैसे आप इस मुश्किल समय में राजनैतिक नफ़े-नुकसान को जनता के हित से ऊपर करके देख सकते हैं? अगर ऐसा ही है तो फिर क्या फर्क राह जाएगा आपमें और बाकी राजनैतिक दलों में?

आज जनता ने जो मौका दिया है उसे गँवाए बिना अरविंद केजरीवाल को आगे बढ़कर दिल्ली में सरकार बनानी चाहिए. उनको दिखाना चाहिए कि सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले सरकार चला कर दिखा सकते हैं, बद्लाव ला कर दिखा सकते हैं... वरना मायूस जनता उसी ढर्रे पर वपिस लौट जाएगी, उसी सोच के साथ कि 'कुछ नही हो सकता' और 'यहाँ तो ऐसे ही चलता है'!






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परिस्थितियों को आत्म विश्वास से करें काबू



जब आपका मजाक उड़ाया जाता हैं तब इसको नियति ना बनने दें, बल्कि ऐसी परिस्थिति में इस चुनौती को आप अपने दृढ़ विश्वास के द्वारा और भी अधिक आसानी से अपने हित में कर सकते हैं.

मजाक उड़ाना एक नकारात्मक प्रतिक्रिया है, जिसके कारण सकारात्मक प्रवत्ति के लोग दुगने वेग से आपके पक्ष में आएँगे - Shah Nawaz

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