ब्लॉगर इरफ़ान और अभिनेता सलमान



स्टार न्यूज़ पर ब्लॉगवुड और बॉलीवुड एक साथ नज़र आये. न्यूज़ रूम में इरफ़ान भाई ने सलमान और उनकी जल्द ही प्रदर्शित होने वाली फिल्म READY के ऊपर कार्टून बनाया वहीँ सलमान खान ने भी कमाल का रेखा चित्र बनाकर दर्शकों का मन मोह लिया. मेरे मोबाइल कैमरे से बनी यह विडिओ आप भी देखिये:






 
अगर पूरा प्रोग्राम देखना चाहते हैं तो स्टार न्यूज़ की यह विडिओ देखिये:



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एलेक्सा रैंकिंग और हिंदी ब्लॉग्स

एलेक्सा रैंकिंग विश्व में वेबसाइट की रैंकिंग में सबसे बेहतर मानी जाती है। इसकी शुरुआत 1996 में हुई थी तथा इसका संचालन अमेज़न.कॉम के द्वारा किया जाता है।एलेक्सा किसी भी ब्लॉग / साईट की ना केवल विश्व रैंकिंग दिखता है बल्कि साथ ही साथ क्षेत्रीय रैंकिंग भी दिखाता है। यह रैंकिंग ना केवल इस बात पर निर्भर करती है कि किस साईट / ब्लॉग पर कितने लोगो ने विज़िट किया, बल्कि यह भी देखा जाता है कि विज़िटर / पाठक कहाँ से आया था, कितनी देर तक साईट / ब्लॉग पर रुका, कितने पृष्ठ खोले इत्यादि। लेकिन यह सर्च इंजिन बोट के हिट्स की गिनती नहीं करता है। इसके साथ-साथ रैंकिंग पर अच्छे साईट लिंक का भी प्रभाव पढता है, अर्थात आपके ब्लॉग / साईट का लिंक कितनी अच्छी रैंकिंग वाली साइट्स / ब्लॉग्स में साझा है!

साथ ही आप इसके द्वारा अपने पाठकों के प्रवाह को भी जांच सकते हैं, अर्थात किस महीने / सप्ताह / दिन में पाठकों का प्रवाह कैसा रहा।हालाँकि सप्ताह दर सप्ताह की जानकारी केवल एक लाख से नीचे की रैंकिंग वाले ब्लॉग / साईट को ही दी जाती है, इसी तरह हर दिन की जानकारी 10,000  सी नीचे की रैंकिंग वाले ब्लॉग / साईट को ही उपलब्ध कराई जाती है।

एलेक्सा के मुख्य प्रष्ट पर 3 माह की रैंकिंग दर्शाई जाती है तथा "Get Details" पर क्लिक करने पर आप इस रैंकिंग को पिछले महीने / सप्ताह / दिन इत्यादि के साथ जाँच सकते हैं। इस पृष्ठ पर रैंकिंग के साथ-साथ ब्लॉग / साईट के पाठकों का विश्व के पाठकों की तुलना में अनुपात, उनके द्वारा खोले गए पृष्ठ, हर पाठक द्वारा खोले गए पृष्ठ का प्रतिशत, कितने पाठक पहले ही पृष्ठ से वापस चले गए, पाठक कितनी देर ब्लॉग / साईट पर ठहरे तथा कितने पाठक सर्च इंजन से आये जैसे आंकड़े उपलब्ध होते हैं।इसके अलावा आप अपने ब्लॉग / साईट के आंकड़ों की दुसरे ब्लॉग / साईट के साथ तुलना भी कर सकते हैं।

उसके नीचे आपके ब्लॉग / साईट को खुलने में औसत समय तथा क्षेत्रीय रैंकिंग को दर्शाया जाता है, साथ ही आपके ब्लॉग / साईट के पाठकों के बारे में बताने की कोशिश की जाती है तथा आपके ब्लॉग / साईट को किस-किस कीवर्ड (Keyword) के द्वारा खोजा जाता है, इसकी भी जानकारी दी जाती है। एलेक्सा पर इसके अलावा और भी बहुत से बेहतरीन फीचर्स हैं, आप स्वयं भी इसकी जांच करके देखिये।




विश्व की टॉप रैंक वाली कुछ साईट हैं:


गूगलरैंक 1
फेसबुकरैंक 2
यु ट्यूबरैंक 3
याहू रैंक 4
ब्लॉगर रैंक 5
बैदू (baidu.com)रैंक 6
विकीपीडिया रैंक 7
विंडो लाइव रैंक 8
ट्विटररैंक 9
QQ.comरैंक 10
MSN.com रैंक 11
गूगल इंडिया रैंक 15
लिंकेडीन रैंक 16
अमेज़नरैंक 17
वर्डप्रेसरैंक 18


अब कोशिश करता हूँ 6 लाख तक की रैंकिंग वाले कुछ ब्लॉग्स की विश्व तथा भारतीय औसत एलेक्सा रैंकिंग (3 माह) से रु-बरु करवाने की, इनमें कुछ सामूहिक ब्लॉग्स भी शामिल हैं। (समय के साथ इसमें परिवार्तान आ सकता है)




ब्लॉग्स (विश्व रैंकिंग)(भारतीय रैंकिंग)
1.

हिन्दयुग्म

303,92832,039
2.

 नुक्कड़

314,86228,755
3.

महाजाल357,68029,677
4.

ZEAL358,33144,540
5.

देशनामा374,34638,614
6.

तस्लीम384,18740,379

7.

परिकल्पना

408,49344,606

8.जनोक्ति

424,43339,105
9.

हिंदी टेक ब्लॉग426,60341,593
10.

 नज़रिया

466,65967,124
11.

छींटें और बौछारें507,63842,542
12.

ज्ञान दर्पण519,24445,954
13.

प्रेम रस

547,60560,725
14.

क़स्‍बा 572,39851,459

इस सूचि को बनाने के लिए मैंने तक़रीबन 100-125 हिंदी ब्लॉग्स की रैंकिंग की जाँच की है। अगर भूलवश आपका ब्लॉग इसमें आने से छूट गया है तो कृपया सूचित कर दें, उसे भी शामिल कर दिया जाएगा।


Keyword: alexa ranking, hindi blog sites

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पति की हाज़िर जवाबी


एक पति पत्नी से बोला - "यदि भविष्य में मुझे कुछ हो जाता है तो क्या तुम दूसरी शादी कर लोगी?"


पत्नी ने कहा - "मैं अपना सारा जीवन अपनी बहन के साथ गुजार दूँगी, लेकिन दूसरी शादी कभी नहीं करूँगी।"

उसने पति से मालूम किया - "अगर मुझे कुछ हो गया तो क्या तुम दूसरी शादी करोगे?"

पति भी हाज़िर जवाबी से बोला - "ऐसा कभी नहीं होगा! तुम फ़िक्र क्यों करती हो? मैं भी तुम्हारी बहन के साथ ही रह लूँगा।"

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सबसे बड़ा सवाल

जो आदमी हमेशा हँसता रहता है 
उसे हसमुख (HUS-MUKH) कहते हैं. 

तो सवाल यह उठता है कि 
जिसका हसना बिलकुल बंद हो जाए 
उसको क्या कहेंगे?


 
 
जवाब:

हस-बंद... मतलब अंग्रेजी  में पढ़े तो...


HUS-BAND

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मैं और मेरी तन्हाईयाँ



जाने किसकी निस्बत से है, मैं और मेरी तन्हाईयाँ
इक तो दुनिया संगदिल ठहरी, उस पर तेरी रुस्वाइयाँ

हर मांझी ने पार लगा ली, अपने जीवन की कश्ती
होते तो हम भी साहिल पे, पर तूफां की अंगड़ाईयाँ

भूल तो जाएं उसको लेकिन, मोहिनी सूरत दिल में बसी है
उन प्यारी आँखों की कशिश और उस चेहरे की परछाइयाँ

कैसे हो आँखों से ओझल, उन होटों का शोख तबस्सुम
गहरे समंदर सी गहरी हैं, उन आँखों की गहराइयाँ

उसकी मेहर से हर सू फैला, खुशियों का प्यारा मौसम
अब ढूंढे से मिलती नहीं है, रुखसारों की रानाइयाँ

गर्मी में माथे की बुँदे, झिल-मिल मोती लगती थी
दिल को घायल करती हैं अब, लहराएं जो पुरवाइयाँ

मस्तीं में अश्कों का रस भी, मदहोशी ले आता था
अफ़सुर्दा अब शाम है 'साहिल', चुभ जाती हैं शहनाइयाँ

- शाहनवाज़ सिद्दीकी 'साहिल'



शब्दार्थ:
निस्बत - सम्बंधित होना,
संग - पत्थर (कठोर),
साहिल - किनारा,
तबस्सुम - हलकी हंसी / मुस्कराहट,
रुखसार - गाल
रानाईयाँ - सौंदर्य,
अफ़सुर्दा - उदास

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ओबामा या ओसामा?

ओबामा और ओसामा के फेर में अच्छे से अच्छे गच्चा खा रहे हैं. कई न्यूज़ रीडर ओसामा को ओबामा कह देते हैं तो अखबारों में भी ओसामा की जगह ओबामा लिखा जाता है. यह बेचारे भी क्या करें, इन दोनों नामों में कुछ ज्यादा ही समानता दिखाई देती है, मैं खुद भी कुछ मर्तबा ओसामा को ओबामा कह चूका हूँ. इसलिए मैं तो अब ओसामा का पूरा नाम ही लेता हूँ - ओबामा-बिन-लादेन... म्म्म्तलब ओसामा-बिन-लादेन.

ज़रा देखिये बी.बी.सी. जैसी जाने मानी न्यूज़ एजेंसी अपनी हिंदी साईट पर एक शीर्षक में कैसे ओबामा को ओसामा बनाने पर तुली हुई है, हालाँकि अन्दर सही नाम लिखा है.



जब से ओसामा बिन लादेन की मौत हुई है तब से अभी तक तक़रीबन सभी न्यूज़ चैनल्स पर यह गड़बड़ी देख चूका था. आज अचानक बी.बी.सी. पर नज़र गयी तो हैरान रह गया, हमारे हिंदी न्यूज़ चैनल्स ही नहीं बल्कि बी.बी.सी. जैसी मशहूर संस्था भी ओसामा और ओबामा के फेर में गच्चा खाती नज़र आई.

गूगल बाबा पर नज़र दौड़ाई तो कुछ और फोटो भी मिल गए, आप भी देखिये...


चित्र गूगल से साभार


चित्र गूगल से साभार

चित्र गूगल से साभार


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खुशदीप सहगल की बग़ावत

सतीश जी वाले प्रकरण के बाद हंगामा मचा हुआ है. एक तरफ पोल खुलने के कारण सतीश सक्सेना जी की हालत ना हँसते बनती है ना रोते, वहीँ दूसरी तरफ खुशदीप सहगल ने भी गैंग में बग़ावत कर दी है. उनको लगता है कि ज़रूर यह खबर और फोटो द्विवेदी जी या फिर मैंने लीक की हैं. उन्होंने बदला लेने के उद्देश्य से मक्खन परिवार को रॉकेट लोंचर पर चढ़ा कर द्विवेदी जी के यहाँ ब्लास्टिंग कर दी. बकौल सतीश जी मक्खन परिवार को तो मुशर्रफ जैसा शख्स नहीं झेल पाया तो फिर द्विवेदी जी क्या चीज़ हैं. कोर्ट में चाहें वह कितना ही धमाल मचा लें लेकिन यहाँ स्लोग ओवर को झेलना था. पहली बार तो मक्खन परिवार को घर पर देखते ही उनपर बेहोशी छाने लगी, वोह तो अच्छा है बाथरूम करीब ही था! म्म्म्मात्लब बाथरूम करीब होने के कारण श्रीमती द्विवेदी जी जल्दी से पानी का मग भर लाई  और उड़ेल दिया द्विवेदी जी के मुंह पर, तब जाकर तो वह होश में आये.

यह एक ब्लोगर का ही जिगरा था कि पुरे एक दिन झेला उन्होंने मक्खन परिवार को, वर्ना अच्छे-अच्छों को नानी याद आ जाती है. रात को जब दिल्ली यात्रा संस्मरण पोस्ट लिखने बैठे तो अचानक उन्हें मेरी याद आई और पोस्ट ठेलते-ठेलते उन्होंने पूरी प्लानिंग कर ली मक्खन परिवार से छुटकारा पाने की. रात भर सो नहीं पाए और सुबह होते ही मक्खन परिवार को कानूनी बातों में उलझा कर दिल्ली के लिए रवाना कर दिया और जेब में मेरे पते की पर्ची डाल दी. :-(

फिर क्या था, मक्खन परिवार पहुँच गया मेरे द्वारे:

मरता क्या ना करता, "भाआआई" का डर और वह भी खुशदीप भाई जैसे खतरनाक भाआआई का, इसलिए कुछ कह भी नहीं सकता था. खूब धूम-धाम से मालाएं-वालाएं डाल कर स्वागत किया.


जिस स्लोग ओवर नाम के हथियार से मक्खन-ढक्कन-मक्खनी के द्वारा वह पूरे ब्लॉग जगत को फोड़ते आये थे, वाह आज मेरे द्वारे खड़ा था. उस पर प्लस पॉइंट यह कि मक्खन-मक्खनी का सुपुत्र छक्कन भी साथ था. छक्कन कैसा हथियार होगा, जिसे खुशदीप भाई ने आड़े वक़्त के लिए संभाल के लिए रखा था, यह सोच कर ही जान निकल गई.


उनको एक कमरे तक पहुँचाया गया, थोड़ी देर बाद जाकर चेक किया तो वह वहां पर धमाल मचा रहे थे.



उनकी इस हरकत पर मैंने भूख हड़ताल का फैसला कर लिया है, अगर खुशदीप भाई ने इन्हें अपने घर वापस बुलाकर अपनी पोस्टों में नहीं ठेलते हैं तो मैं भी जंतर-मंतर पर भूख हड़ताल पर ही बैठा रहूँगा.



रोज़-रोज़ तड़प-तड़प कर मरने से तो अच्छा है कुछ किया जाए...




क्या ख्याल है आपका???





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सतीश सक्सेना की धमकी

"सम्मान समारोह में बड़ा खुलासा" 

सतीश सक्सेना सम्मान समारोह में भाग लेने आये 3 ब्लोगर बंधुओं को अपनी कार में घुमा रहे थे, बीच में उन्होंने नुक्कड़ पर  अविनाश वाचस्पति को फोन करके बताया की उनके साथ कुछ लोग हैं, जिनके ठहरने का इंतजाम कनाट पेलेस के पांच सितारा होटल 'दा पार्क' में किया गया है और सारा खर्च अभी तक उन्होंने ही किया है. उनकी मांग थी कि होटल और उनकी कार पर हुआ खर्च अविनाश जी सूद समेत उन्हें दें, लेकिन अविनाश वाचस्पति अड़ गए की ब्लोगर्स बंधुओं को अपने ठहरने का इंतजाम खुद करना चाहिए, वह एक पैसा भी नहीं देंगे. इस बात को लेकर काफी देर तक उन दोनों में बहस होती रही, हालाँकि सतीश सक्सेना ड्राइविंग कर रहे थे. अविनाश जी ने यहाँ तक कह दिया की उनके पास किसी को देने के लिए एक खोटा पैसा भी नहीं है, जिसमें हिम्मत हो ले ले! इस पर श्री सतीश सक्सेना ने कहा कि वह जो पैसों से भरा झोला अपने साथ रखते हैं, समारोह में उनसे वही झोला छीनकर सारी वसूली की जाएगी.

सतीश जी की यह धमकी सुनकर अविनाश जी डर गए, यहाँ तक कि अपना झोला भी लेकर नहीं आये. फिर क्या था, यह सूचना मिलते ही सतीश सक्सेना ने भी समारोह में आने का फैसला बदल डाला. शायद उन्हें लगा होगा कि अविनाश वाचस्पति ने धमकी से डर कर न्यू मीडिया के बीच जाने का फैसला ना कर लिया हो, उन्हें क्या पता कि अविनाश जी ने तो डर के मारे यह बात रविन्द्र प्रभात को भी नहीं बताई थी.


लेकिन न्यू मिडिया के सूत्र यह सब पता लगा चुकें थे, यह सजग प्रहरी सम्मलेन के पीछे के सारे खेल को धीरे-धीरे सबके सामने लाने के लिए प्रतिबद्ध थे. सबसे पहले तो हम उन तीनो ब्लोगर बंधुओं के चित्र आपको दिखाते हैं.

गौर से देखिये और पहचानिए इन तीनो को, जो सतीश सक्सेना की साजिश में शामिल थे,
इन्ही तीनो के नाम पर वसूली की साजिश का प्लान बनाया गया था.

इन तीनो के साथ मिलकर सतीश सक्सेना नामक ब्लोगर ने होटल के इसी कमरे में इस साज़िश का ताना-बाना बुना था

देखिये प्लान सुनकर कितने खुश नज़र आ रहे हैं यह लोग

गंभीर मंत्रणा चल रही है


अपने साथ समर्थन जुटाने के लिए यह लोग छतीसगढ़ बिग्रेड से भी गुप-चुप मंत्रणा करने पहुँच गए


सबूत के लिए इस मंत्रणा की ख़ुफ़िया कैमरे से ली गई तस्वीर देखिये


सुनीता शानू जी के ऊपर खाने-पीने का भार सौंपा गया था


अविनाश वाचस्पति, डर के मारे मंच से नीचे नहीं उतर रहे थे, इसलिए सतीश सक्सेना का एक साथी तो वसूली के लिए स्टेज पर ही जा धमका.


लेकिन अविनाश वाचस्पति उसे देखते ही उसके इरादों को भांप गए थे, इसलिए उन्होंने तुरंत ही उसकी मुलाक़ात मंच पर बैठे 'बड़े लोगो' से करा दी, जिससे कि वह उन लोगो के सामने कुछ बोल ना सके. उन लोगो ने समझा यह भी कोई साहित्यकार या उपलब्धि प्राप्त ब्लोगर है :-) तो उसे भी झट से ट्रॉफी  और सर्टिफिकेट देकर मंच से ज़बरदस्ती नीचे उतार दिया गया.



सतीश जी का यह गुर्गा, अजीब सी स्थिति में फंस गया था, इसलिए सिवाए मुस्काराने के कुछ भी नहीं कर सका, सोच रहा है जान बची सो लाखो पाए!


तो आपने देखा, पुराने खिलाड़ी अविनाश वाचस्पति ने किस तरह सतीश सक्सेना के हमले को झेला, ना सिर्फ झेला बल्कि अपनी चतुराई की बदौलत उसको बेकार भी कर दिया.


(हमने सतीश सक्सेना और उनके गुर्गों को बेनकाब कर दिया है, आप लोगो को यह ख़ुफ़िया जानकारी कैसी लगी, हमें लिख भेजिए!)

Keywords: New Don, Satish Saxena, Khushdeep Sehgal, Dineshrai Dwivedi, new media, blogging, parikalpna award, nukkadh.com, chattisgarh bloggers, humour.

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परिकल्पना सम्मान समारोह!

कई मायनों में भव्य था परिकल्पना सम्मान समारोह!

कुछ लोगों का मत है कि व्यवस्था में बहुत सी गड़बड़ियाँ रही, समय प्रबंधन नहीं हो पाया, इसके बावजूद मैं परिकल्पना सम्मान समारोह को कई मायनों में भव्य तथा सफल मानता हूँ. मैंने अविनाश जी और रविन्द्र जी से वादा किया था कि समारोह कि देखभाल और किर्याकलापों में सक्रीय योगदान दूंगा, एक ब्लोगर के नाते आयोजन को सफल बनाने में अपने योगदान को अपना कर्तव्य मानता हूँ. इसके साथ-साथ दिल्ली निवासी होने के कारण स्वत: मेज़बान भी था. लेकिन अपनी कमजोरी और दिन में ब्लोगर्स बंधुओं से मुलाक़ात के सिलसिले के कारण शाम तक थक गया था. इसलिए जो भी कमियां रही उसके लिए मैं अपना योगदान ना देने के कारण खुद को भी उसका कारण मानता हूँ.

खुशदीप भाई का मन व्यथित हुआ, इसके पीछे का कारण भी एक दम जायज़ है. श्री पुन्य प्रसून वाजपयी जी दुसरे सत्र के मुख्य अतिथि थे, इसलिए उन्हें पूर्ण सम्मान मिलना चाहिए था. आयोजन समिति पूरी तरह व्यस्त रही, शायद इसी कारण ध्यान नहीं रख पाएं कि उनको दिया समय हो चूका है, बल्कि हो क्या चूका था उससे भी आधा घंटा ऊपर हो चूका था. मैं और खुशदीप भाई जब बाहर गए तो देखा कि वह तो काफी पहले ही पधार चुकें हैं और बाहर गेट पर खड़े हुए हैं. मैं फ़ौरन भाग कर अन्दर गया, लेकिन रविन्द्र जी स्टेज पर नज़र नहीं आए, उनका फोन भी नहीं मिल पा रहा था. इतने में अविनाश वाचस्पति नज़र आये मैंने फ़ौरन उन्हें बुला कर स्थिति से अवगत कराया. वह भी मेरे साथ मुख्य द्वार की ओर लपके, लेकिन बीच-बीच में लोग उन्हें रोकते रहे, शायद इसलिए और थोड़ी देर हो गयी. जब तक हम बाहर पहुंचे तब तक शायद देर हो चुकी थी और पुन्य प्रसून वाजपयी जी वापसी का मन बनाकर अपनी गाडी मैं बैठ चुके थे. उन्होंने अविनाश जी से थोड़ी देर बात की साथ ही साथ उन्हें समय के प्रबंधन की नसीहत भी दी और चले गए. अपने व्यस्त कार्यकर्म में से थोडा और समय निकलना शायद उनके लिए मुमकिन नहीं था.

इस बात का एहसास तो सभी को हो गया था कि कार्यक्रम काफी देर से शुरू हुआ था तथा कार्यक्रम के प्रायोजकों के द्वारा अधिक समय ले लिया गया था. लेकिन हमें इस कार्यक्रम को प्रायोजित करने तथा ब्लॉग जगत की आवाज़ को और ऊँचाइयों पर ले जाने के हमारे अभियान को समर्थन देने पर उनका धन्यवाद व्यक्त करना चाहिए. हालाँकि प्रायोजकों द्वारा अत्यधिक समय ले लेना कटोचता रहेगा.  परन्तु हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि ऐसा आयोजन ब्लॉग जगत में पहली बार हुआ था, इसलिए इतनी अनियमितता होना स्वाभाविक भी था. फिर आयोजन में अविनाश जी और रविन्द्र जी ने अपनी हिम्मत से अधिक मेहनत की थी और इसके लिए हमें इन दोनों का आभारी होना चाहिए.

इस बहाने ही सही, देश के कोने-कोने से आये ब्लोगर बंधुओं की आपस में मुलाक़ात और विचारों का आदान-प्रदान इस आयोजन की सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपलब्धि रही.

कार्यक्रम के फोटो यहाँ देखिये, उससे पहले के कुछ ख़ास क्षणों के फोटो यह रहे:

खुशदीप भाई, सतीश सक्सेना जी और दिनेशराय द्विवेदी जी, हमारे घर पर...
क्या सोच रहे हैं? भय्या केवल स्प्राईट पी जा रही है. "सीधी बात नो बकवास!"

सुनीता शानू जी के यहाँ, ब्लोगर्स त्रिमूर्ति ब्लोगिंग प्रवचन के लिए तैयार हैं

श्रोतागण  भी अपना-अपना स्थान ग्रहण कर चुकें हैं

लीजिये प्रवचन शुरू हो गया!

खाने-पीने की भी व्यवस्था है

दार्जिलिंग की यह बेहतरीन चाय सुनीता जी पहले हम सभी को पिलवा चुकी हैं.

चोर चोरी से जाए लेकिन ब्लोगर ब्लोगिंग से कैसे जाए?

गर्मी से बचने के लिए सतीश जी ने ए.सी. के एकदम नीचे जगह ढून्ढ कर आसन जमा लिया  :-)

हुड हुड दबंग-दबंग - जी. के. अवधिया जी के साथ ललित शर्मा जी
खुशियों के पल!

अंत में इतना ही कहूँगा...


प्रेम के यह सिलसिले दिलदार यूँ ही चलते रहे,
मिलने-जुलने की आड़ में यह दिल यूँ ही मिलते रहें,

इस बहाने ही सही, आपस में कुर्बत तो बढे
यह प्रेमरस बंटता  रहे, यूँ इश्कियां फूल खिलते रहें




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