हरिभूमि: गरीब सांसदों को सस्ता भोजन

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  • Shah Nawaz
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  • दैनिक हरिभूमि में दिनांक 1 फ़रवरी को प्रष्ट संख्या 4 पर प्रकाशित मेरा व्यंग्य

    हमारे प्यारे देश भारत में एक जगह ऐसी भी हैं जहाँ गरीब लोगो के लिए सस्ता भोजन उपलब्ध कराया जाता है, लेकिन इसका मतलब घटिया नहीं बल्कि फर्स्ट क्लास भोजन और बेहद सस्ता। बस एक ही कमी है, ऐसा भोजन केवल एक ही केन्टीन में उपलब्ध है, और यह सुविधा केवल उस क्षेत्र के गरीबों के लिए ही है। यह ऐसे गरीब हैं जिनकी मासिक आय केवल अस्सी-नब्बे हज़ार रुपये है, यह और बात है कि साथ में भारी बोनस घोटालों के रूप में मिल जाता है। बोनस के मामले में पहले बहुत थोडा सा पैसा (केवल कुछ लाख या कुछ करोड़) ही मिलता था, लेकिन आजकल इसमें थोडा इजाफा हुआ है। अब यह कुछ हज़ार करोड़ तक पहुँच गया है, फिर भी गरीब हैं तो सरकार का दायित्व बनता है कि इनके लिए उचित दर पर भोजन की व्यवस्था की जाए! हमें अपनी सरकार को इस कार्य के लिए बधाई देनी चाहिए कि उसने कम से कम इन बेचारों के लिए तो यह बंदोबस्त कर ही दिया है। आखिर हमारी सरकार इतनी निकम्मी थोड़े ही है।

    अब इतनी उत्सुकता दिखा रहे हैं तो चलिए संसद भवन में मौजूद इस कैंटीन की भोजन दरें आप को भी बता देते हैं। यहाँ चाय जहाँ केवल एक रुपये में मिलती हैं, वहीँ सूप मात्र साढ़े पांच रुपये में ही उपलब्ध है। अच्छा दाल भले ही अन्य गरीबों को रुला देती हो परन्तु यहाँ केवल डेढ़ रुपया प्लेट ही है। वैसे भी कहावत है कि गरीब लोग ज्यादा खाते हैं, इसलिए सरकार ने ऐसा बंदोबस्त किया है कि चपाती के लिए एक रुपया और मील के लिए मात्र दो रूपये ही खर्च करने पड़ेंगे। और तो और डोसा खाने का मन हो तो बस चार रुपये खर्च होते हैं और अगर मुंह में वेज बिरयानी को देखकर पानी आ जाए तो ललचाना नहीं पड़ता, केवल आठ रूपये खर्च में बिरयानी उपलब्ध है।

    सरकार ने इन गरीबों के लिए शाकाहार के साथ-साथ मांसाहार का भी उचित प्रबंध किया है। जहां फिश केवल तेरह रूपये में उपलब्ध है, वहीँ चिकन के लिए मात्र चौबीस रूपये पचास पैसे ही खर्च करने पड़ेंगे। अब तो आपको विशवास हो ही गया होगा की हमारे म्म्ममतलब  जनता के यह सेवक जनता की इतनी सेवा कैसे कर लेते हैं? अब जनता के खून-पसीने की कमाई से जो सुविधाएं मिल रही हैं, तो उसका बदला तो चुकाएंगे ही ना?  वैसे इनकी मेहनत के सामने तो यह कुछ भी नहीं है, शायद यही सोच कर यह कुछ और सुविधाएँ भी हड़प कर लेते हैं। आप क्यों मुंह बनाकर बैठे हैं? अरे इन गरीब लोगों को थोड़ी सी सुविधाएं क्या दे दी सरकार ने तो आपको जलन होने लगी? जब देखों जेब का रोना रोते रहते हैं। भय्या, जब सरकार गरीब लोगो के लिए इतना कुछ कर रही है तो कम से कम हम लोगो को आय कर देने में तो दुःख का अहसास बिलकुल भी नहीं होना चाहिए, आखिर हमारा भी तो कुछ कर्तव्य बनता है।

    7 comments:

    1. कितना उन्नत देश हमारा।

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    2. आमजन की छातियों में मूंग दल रहे है हरामखोर !

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    3. इन गरीबो को जुते भी मुफ़त मे मिलने चाहिये जी

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    4. aisa gareeb to har koi hona chahega .badhiya post .

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    5. मेरी लड़ाई Corruption के खिलाफ है आपके साथ के बिना अधूरी है आप सभी मेरे ब्लॉग को follow करके और follow कराके मेरी मिम्मत बढ़ाये, और मेरा साथ दे ..

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