मुस्लिम समाज की मुश्किलें और हल

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  • Shah Nawaz
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  • मुसलमानों की आज की हालात के सबसे बड़े गुनाहगार अपने ज़ाती फायदे के लिए इमोशंस को भड़काकर टुकड़ों में बांटने वाले फ़िरको के दलाल हैं, या फिर अपने इमोशंस भड़काकर झूठ फैलाने वाले राजनैतिक दलाल हैं।

    इमोशनल तकरीरें देकर बेवकूफ बनाने वालों के चक्कर में पड़कर हमने सब को अपने से दूर कर लिया। आज कोई हमारा नाम नहीं लेना चाहता है। कोई हमारे हक़ में आवाज़ नहीं उठाना चाहता है। और जो आज उठा भी रहे हैं या साथ लेकर चल भी रहें हैं तो लिखकर रख लो कि अगर हम आज भी इमोशंस भड़काने वालों की बातों में आते रहे, तो कल वो भी साथ नहीं आने वाले हैं।

    सबसे पहले तो यह सोच दिल से निकाल दीजिये कि कोई हमारा दुश्मन है, दरअसल हम ख़ुद हमारे दुश्मन बने हुए हैं, एक-दूसरे के दुश्मन... इसलिए अपने मिजाज़ को बदलिए, जो दीन पर नहीं चल रहा है, उसको टोकने या बुरा समझने, अपनी सोच को दूसरों पर थोपने की जगह दीन को अपने अंदर उतारिये।

    यह उम्मीद मत रखिये कि दूसरे हमेशा आपके हिसाब से फैसला लेंगे, बल्कि यह सोचिये कि सिक्के का हमेशा एक ही पहलू नहीं होता है, इसलिए दूसरे पहलू को देखने/समझने की कोशिश कीजिये और फिर जो गलत सामने आता है उस पर भड़कने या टोंड कसने की जगह अच्छे अखलाक के साथ उसे सामने रखिये। चुप नहीं रहना है, क्योंकि आवाज़ उठाना ज़िंदा होने का सबूत है, पर समझदारी के साथ आवाज़ उठाइये। आज हमारी हालात को अगर कोई संभाल सकता है तो वो अच्छा अखलाक और अच्छी शिक्षा ही है। शुक्र अदा कीजिये कि हमारे बुजुर्गों ने मदारिस का सिलसिला शुरू कर दिया था, वरना हमारे हालात और भी बदतर होते। पर आज हमें ज़रूरत उनके साथ-साथ स्कूल और यूनिवर्सिटीज़ की है।

    फैसला हमारे ही हाथ में है, कि हम अपना कैसा कल चाहते हैं। इसे कोई और तय नहीं कर सकता है, यकीनन हमें ही तय करना है, इसलिए नेगेटिविटी की जगह पॉजिटिविटी से काम लेते हुए क़ौम को मज़बूत करने की फिक्र कीजिये।

    - शाहनवाज़ सिद्दीक़ी

    3 comments:

    1. आपकी इस बात के लिए एक बड़ा सैल्यूट भाई । सटीक बात ।

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    2. आपके इस आलेख के लिए बहुत बहुत आभार । आज ऐसे ही समझदारी की जरूरत है । आपकी सुलझी हुई सोच को लोग समझेंगे ।

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    3. काश यह बात लोग उतनी ही आसानी से समझ पाते जैसे आपने लिखा है उम्मीद है आपकी सुलझी हुई सोच को लोग समझेंगे।

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