अपने-पराए हर गलत को गलत कहिए

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  • Shah Nawaz
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  • ना तो सारे मुसलमान जमाती होते हैं और ना ही हर जमाती को कोरोना हुआ है और ना ही जमाती जानबूझकर बीमार हुए हैं। जो गलती मैजमेंट से हुई हो उसकी सज़ा भी उनकी जगह बीमारों को नहीं दी जा सकती है, बल्कि बीमारों के साथ सहानुभूति होनी चाहिये। हालांकि जैसी गलती मरकज़ मैनजेमेंट से हुई, वैसी गलती कम हो या फिर ज़्यादा परंतु उस समय हर मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे में हो रही थी। लॉक डाउन होने तक हर जगह भीड़ जमा हो रही थी, धार्मिक ही नहीं सामाजिक और राजनैतिक कार्यक्रमों में भी...

    मरकज़ मैनेजमेंट की बड़ी गलती थी कि एडवाइज़री के बावजूद हज़ारों लोग जुटते रहे। हालांकि लॉक डाउन के बाद जो लोग फंस गए थे, उसमें भी और उससे पहले भी प्रशासन को लिखित जानकारी के बावजूद, रोज़ाना रिपोर्ट लेने के बावजूद अगर लोग आना-जाना कर रहे थे, तो इसमें प्रशासन की भी उतनी ही गलती थी। दरअसल लॉक डाउन से पहले तक प्रशासन स्वयं इतना गंभीर नहीं था।

    22 तारीख तक शाहीन बाग जैसे धरने चलते रहे, मध्य प्रदेश में सरकार गिरती-बनती रही, संसद का सत्र चलता रहा, बड़े-बड़े लोगों की शादियों होती रही, अंतिम संस्कार जैसे कार्यक्रमों में हज़ारों लोग जुटते रहे। सभी बड़े मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारों में भीड़ जुटती रही, कई जगह तो अभी भी भीड़ जुट रही है।

    यह अवश्य है कि जमात से जुड़ा हर वह व्यक्ति व्यक्ति गुनहगार है, जिसने मेडिकल स्टॉफ अथवा प्रशासन के साथ दुर्व्यहार किया,  जबकि मेडिकल स्टाफ और प्रशासन इस समय अपनी जान की परवाह किये बिना कोरोना को हारने की लड़ाई में लगे हुए हैं। हालाँकि उनके साथ प्रशासन के वो लोग भी ज़िम्मेदार हैं जो जमात से जुड़े बाकी लोगों से क़्वारन्टाइन में गुनहगारों जैसा व्यवहार कर रहे हैं, जिसके चलते दिल्ली के सुल्तान पूरी में बने क़्वारन्टाइन सेंटर में टाइम से दवाई और खाना नहीं मिलने के कारण शुगर पेशेंट 2 लोगों की मौत तक हो गई।

    सलेक्टिव होकर दूसरों के किसी एक को या एक की वजह से हर एक जो दोष देने की जगह हर गलती को गलत कहिए और अगर अपनों को गलत नहीं कह सकते हैं तो आपको दूसरों पर बोलने का भी कोई अधिकार नहीं है।

    मरकज़ भी एक मस्जिद ही है तो अगर मरकज़ में भीड़ जुटने को मैं गलत कह रहा हूँ तो आप बड़े-बड़े मंदिरों और गुरुद्वारों इत्यादि धार्मिक स्थलों में भीड़ जुटने का विरोध कीजिये और हम सब को मिलकर इन सभी धार्मिक, सामाजिक और राजनैतिक कार्यक्रम आयोजित करने वालों पर सख्त कार्यवाही की मांग करनी चाहिए, इनकी हठधर्मिता और स्वयं को सर्वोच्च समझने की सोच इंसानियत के लिए नुकसानदेह है।

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