आस्था या अंध-भक्ति

Posted on
  • by
  • Shah Nawaz
  • in
  • Labels: , , ,
  • मुझे नहीं लगता कि कोई भी धार्मिक व्यक्ति कभी भी किसी बाबा या तांत्रिक के चक्कर में पड़ कर अपनी इज्ज़त-आबरू या पैसा बर्बाद कर सकता है... हाँ अंध-भक्त हमेशा ऐसा ही करते हैं। कितना सरल है ऐसे बाबाओं को पहचानना... अनैतिकता, पैसों के लालच का धर्म से कोई सम्बन्ध हो ही नहीं सकता है।

    हमें यह समझना होगा कि यह सारी खराबी धर्म के साथ पैसे के घाल-मेल से ही शुरू होती हैं। अगर आप कुछ अच्छा करना चाहते हैं तो सबसे अच्छा है कि ज़रुरतमंदों की मदद की जाए।

    सबसे बड़ी कमी हमारी इस सोच में है कि जो धार्मिक है वह कभी गलत हो ही नहीं सकता है। और इसीलिए हम खोजबीन अथवा अपनी अक्ल लगाने की जगह उस पर आंख मूँद कर विश्वास कर लेते हैं। हम जिसे बड़ा मानते हैं कभी तहकीक ही नहीं करते कि वह जो कह रहा है वह धर्म सम्मत है भी या नहीं। कहीं ऐसा तो नहीं कि वह फ़कीर के भेस में शैतान हो।

    किसी बाबा या धार्मिक स्थल पर दान देने से समाज का भला होने वाला नहीं है बल्कि इससे ही हज़ारों-लाखों धर्म की दुकाने चल निकली हैं। अगर धार्मिक स्थलों अथवा बाबाओं को दान देने पर रोक लगा दी जाए और हर एक धार्मिक नेता की बातों को आंखे बंद करके विश्वास कर लेने की जगह उसकी सच्चाई पर खोजबीन शुरू कर दी जाए तो धार्मिक दुकानदारी की समस्या जड़ से ही समाप्त हो जाएगी।

    अभी पिछले दिनों कश्मीर में एक ढोंगी बाबा (गुलजार अहमद बट) युवतियों को पवित्र करने के नाम पर उनका दैहिक शोषण करता रहा और बेवक़ूफ़ अंध-भक्त उसके जाल में फंसते रहे। उसका कहना था कि जन्नत का रास्ता उसके साथ सेक्स करने से खुलता है... हद है बेवकूफी की भी। आखिर किसी अनैतिक कार्य का धर्म से सम्बन्ध कैसे हो सकता है?

    धर्म सजगता सिखाता हैं अंध-भक्ति नहीं, ना तो किसी को धौखा दिया जाए और इतनी सजगता कि कोई हमें धौखा दे भी ना पाए।




    इस विषय पर यह भी पढ़ें:






    Keywords: relegion, baba, tantrik, fakeer, faqeer, faqir, fraud, cheat, deception, spoof, bluff, gag, rape, sexual relation, deceit, trickery

    6 comments:

    1. सब आबा बाबा चोर हैं आज कल | धर्म के नाम पर ठगने वाले |

      कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
      Tamasha-E-Zindagi
      Tamashaezindagi FB Page

      ReplyDelete
    2. धवलवस्त्र, मंत्रोच्चारण ,
      से मुख पर भारी तेज रहे,
      टीवी से हर घर में आये
      इन संतों से , दूर रहें !
      रात्रि जागरण में बैठे हैं ,लक्ष्मीपूजा करते गीत !
      श्रद्धा के व्यापारी गाते,तन्मय हो जहरीले गीत !

      धनविरक्ति की राह दिखाएँ
      वस्त्र पहन, सन्यासी के !
      राम नाम का ओढ़ दुशाला
      बुरे करम, गिरि वासी के !
      मन में लालच ,नज़र में धोखा, हाथ में ले रामायण गीत !
      श्रद्धा बेंचें,घर घर जाकर, रात में मस्त निशाचर गीत !

      ReplyDelete
    3. वामपंथियों और कांग्रेसियों ने भारत के गौरवशाली हिन्दू इतिहास को शर्मनाक बताने में कोई कसर बाकी नहीं रखी है… क्रूर, अत्याचारी और अनाचारी मुगल शासकों के गुणगान करने में इन लोगों को आत्मिक सुख की अनुभूति होती है। लेकिन यह मामला उससे भी बढ़कर है, एक मुगल आक्रांता, जो कि समूचे भारत को “दारुल-इस्लाम” बनाने का सपना देखता था, की कब्र को दरगाह के रूप में अंधविश्वास और भेड़चाल के साथ नवाज़ा जाता है, लेकिन इतिहास को सुधार कर देश में आत्मगौरव निर्माण करने की बजाय हमारे महान इतिहासकार इस पर मौन हैंhttp://hindurashtra.in/?p=706 पूरी पोस्ट यहाँ पढ़े http://hindurashtra.in/?p=706

      ReplyDelete
    4. सामाजि‍क धर्म तो अब धंधा भर है

      ReplyDelete
    5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
      आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल शुक्रवार (31-05-2013) के "जिन्दादिली का प्रमाण दो" (चर्चा मंचःअंक-1261) पर भी होगी!
      सादर...!
      डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

      ReplyDelete
    6. बड़े दुख की बात है कि अंध श्रद्धा हमारे समाज के लिए नासूर बन चुकी है।

      LazizKhana.Com

      ReplyDelete

     
    Copyright (c) 2010. प्रेमरस All Rights Reserved.