गुजरात से आए कोरोना आंकड़ों ने चिंता बढ़ाई, कहीं दूसरे राज्यों में भी यही हाल ना हो!

Posted on
  • by
  • Shah Nawaz
  • in
  • गुजरात में कोरोना का कहर अचानक से बहुत तेज़ी से नज़र आ रहा है, 5 दिन पहले तक देश में छठे नंबर पर चल रहा गुजरात 2400 से ज़्यादा केसेस के साथ दिल्ली को पीछे करते हुए दूसरे नंबर पर आ गया है। हालांकि दिल्ली में कोरोना केसेस की संख्या इसलिए भी अधिक नज़र आती है, क्योंकि यहाँ दिल्ली से बाहर के केसेस ही अधिक हैं, दिल्ली के केसेस बहुत ही कम हैं।

    चिंता की बात यह है कि गुजरात में रिकवरी रेट मात्र 6% के आसपास है, जबकि देश का औसत 19% है। गुजरात में 66% लोगों की मृत्यु पॉज़िटिव रिपोर्ट आने के 1 या 2 दिन के अंदर ही हो रही है।

    मुझे लगता है कि इसके पीछे का मुख्य कारण कोरोना जाँच का बेहद कम होना है। मतलब कोरोना संक्रमण की जाँच मरीज़ के अंतिम स्टेज पर पहुंचकर ही हो पा रही है। मुझे आशंका है कि यह स्थिति कई और राज्यों में भी दिखाई दे सकती है। केंद्र सरकार को अभी से इसके लिए चेतना होगा और राज्यों को अधिक से अधिक टेस्टिंग किट उपलब्ध करानी पड़ेगी, वर्ना हालात बेकाबू होते देर नहीं लगेगी। हालांकि केंद्र सरकार यह दावा कर रही है कि अब बहुत ज़्यादा टेस्टिंग किट राज्यों को उपलब्ध करा रही है। दुआ करता हूँ कि यह दावा सही हो और लोगों की अधिक से अधिक जान बचाई जा सके।

    हम सभी लोगों को सरकारों का साथ देना चाहिए, हमें लॉक डाउन का पालन सख्ती से करना पड़ेगा। एक बार में अगले 1-2 महीने का राशन लेकर रख लीजिए और उनका इस्तेमाल बेहद सावधानी से कीजिये। रोज़मर्रा की चीज़ें बाहर से लेना तुरंत बंद कर दीजिए, या फिर बहुत ज़्यादा एहतियात बरतिए।

    जैसे कि दूध के पैकेट्स से दूध बर्तन में निकालकर फौरन ही पैकेट को सेफ जगह पर फेंककर तुरंत ही हाथों को अच्छी तरह से धोइये और उसके बाद ही किसी चीज़ को टच कीजिये। बाहर से रोज़-रोज़ ऐसी चीज़ों को लेना बंद कर दीजिये जिनके बिना काम चल सकता है।

    जब तक यह बीमारी समाप्त नहीं हो जाती है, इलाज की व्यवस्था नहीं हो जाती है, तब तक बाहर निकलना बीमारी को दावत देना है। इसलिए लॉक डाउन का सख्ती से पालन कीजिये।

    - शाहनवाज़ सिद्दीक़ी

    10 comments:

    1. कब तक आम आदमी के प्रवक्ता की तरह लिखते रहेंगे । दिल्ली महाराष्ट्र और राजस्थान मध्यप्रदेश सब कहाँ गए सिद्दकी साहब ।

      जमातियों पर तो आप चिंता कर नहीं पाते । पूर्वाग्रह से ग्रस्त पोस्ट ।

      ReplyDelete
      Replies
      1. मैंने तो आम आदमी की नज़र से ही लिखा है, किसी भी पार्टी कार्यकर्त्ता के तौर पर नहीं। कोरोना कहीं भी फैला हो चिंता की बात है, गुजरात में जो केसेस सामने आ रहे हैं उसके बारे में भी चिंता व्यक्त की है कि जब बाकि राज्यों में भी ज़्यादा टेस्ट होंगे तो वहां भी ऐसी ही सिचुएशन हो सामने आने का अंदेशा व्यक्त किया है और नहीं आने की दुआ की है... और इसलिए लोगों से लॉक डाउन का सख्ती से पालन करने के लिए भी कहा है... जिस जिस राज्य में भी बेहद कम टेस्ट हो रहे हैं, वहां भी ऐसी सिचुएशन आ सकती है कि जो गुजरात में अंतिम 5 दिनों में दिखाई दे रही है, मतलब पोसिटिव केस पता चलने के दो दिन के भीतर ही मृत्यु वाली स्थिति।

        Delete
      2. मरकज़ निज़ामुद्दीन वाले मामले में भी मैंने खूब लिखा है, इसमें कोई शक नहीं है कि वहाँ मैनजेमेंट ने गलती की है। पर जमात में गए आम लोगों की कोई गलती नहीं है, बल्कि वो तो उल्टा बीमार होने के कारण सहानुभूति के हकदार हैं।

        बल्कि दिल्ली के क़वारेनटाइन सेंटर में शुगर पेशेंट को समय से खाना और दवाइयां नहीं मिलने के कारण 2 लोगों की मृत्यु हो गई। जबकि 24-25 दिन से राह रहे उन लोगों की रिपोर्ट्स भी नेगेटिव है।

        जो लोग गलत कर रहे हैं या अतीत में कुछ गलत किया है उनकी सज़ा जो बेकसूर हैं उनको नहीं फि जा सकती है।

        Delete
    2. आम आदमी समझ रहा है कि लॉकडाउन खुला और हम आजाद । अब भी कितने इलाकों लोग नहीं मान रहे हैं । वो खुले घूम रहे हैं । कैसे समझाया जाय ।

      ReplyDelete
      Replies
      1. यह वाकई परेशान करने वाली स्थिति है, लोगों को समझना पड़ेगा कि सरकार के लॉक डाउन जैसे आदेशों का पालन नहीं करने पर प्रॉब्लम में हम सब ही पड़ने वाले हैं...

        Delete

     
    Copyright (c) 2010. प्रेमरस All Rights Reserved.