देश का सबसे बड़े मुद्दा - हमारे न्यूज़ चैनल्स

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  • Shah Nawaz
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  • काफी दिनों से सैफ और करीना खासे परेशान चल रहे थे और उन की परेशानी का सबब था कि देश के इकलौते होनहार बालक तैमूर को पोटी नहीं आना, कई दिनों तक पूरा घर ही नहीं बल्कि पूरा देश परेशान था और देश के न्यूज़ चैनल इस बड़े हादसे को पल-पल कवर कर रहे थे, वोह हम तक यह खबर पहुंचाते रहे कि तैमूर इस वजह से दूध भी नहं पी रहे हैं, जब भी तैमूर को टॉयलेट की तरफ ले जाया जाता था तो हमारे न्यूज़ चैनल चौकस होकर खुशखबरी का घंटो एहसास दिलाते रहते थे, हालाँकि 2 दिन तक देश को मायूस होना पड़ा था, पर आखिरकार 2 दिन बाद तैमूर की पोटी आने की खुशखबरी को सबसे पहले सबसे तेज़ चैनल्स होने का दवा करने वाले न्यूज़ चैनल्स ने सबसे पहले हम तक पहुंचा दिया और देश ने चैन की सांस ली, हालाँकि उन दिनों १३ बैंकों में घोटाले की छोटी-मोती खबर भी यदा-कड़ा सुनाई पड़ी, पर इन छोटी-मोटी ख़बरों पर कौन घंटों बर्बाद करता है?

    हमारे न्यूज़ चैनल्स हमेशा देश से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करते हैं मसलन आईपीएल में कौन जीता, किस टीम ने कैसे पार्टी करी, सलमान खान गिरफ्तार होकर रातभर सो नहीं सके, उन्होंने दाल-रोटी नहीं खाई... और हाँ चैनल्स ने इतनी महत्वपूर्ण खबर को भी हम तक पहुँचाया कि उन्होंने पकोड़े खाए, सोचिये देश का कितना उद्धार हुआ होगा जब हमें यह पता चला कि उन्हें ज़मानत मिल गई और घर पहुंचकर वह अपने छत पर आकर फैंस से मिले और उन्हें देश को आगे ले जाने का सन्देश दिया। अगर न्यूज़ चैनल्स ने यह नहीं बताया होता तो आज देश कितना पीछे चला गया होता, इसका आपको अंदाज़ा भी नहीं है.

    अभी कल-परसों की बात है, जबकि कांग्रेस के नेता उपवास शुरू करने से पहले सरगी के तौर पर छोले-भठूरे खा रहे थे, आखिर देश के इतने बड़े नुकसान की खबर हमारे न्यूज़ चैनल्स कैसे छोड़ सकते थे, घंटों इस पर विमर्श हुआ, एक-एक छोले और भठूरे का हिसाब लिया गया, हालाँकि चैनल्स 1-2 मिनट के लिए यह भी दिखाया कि उत्तर प्रदेश में जिस युवती का बलात्कार हुआ था, उसे इंसाफ की जगह उसके पिता की हिरासत में हत्या कर दी गई, पर यह न्यूज़ इतने काम की नहीं थी, कौन सा यह हमारे साथ हो रहा था जो हम देखें, हमें क्या फर्क पड़ता है जो किसी को इन्साफ मिले या ना मिले, हमें तो अपना पिज़ा आधे घंटे में मिल जाता है और फिर जो कम्पनियाँ या फिर पार्टियां विज्ञापनों के लिए पैसा देती हैं उनके पक्ष में खबर दिखाना हमारे न्यूज़ चैनल्स का धर्म है, आपने वोह कहावत नहीं सुनी कि ग्राहक ही भगवन होता है.... देखा हमारे न्यूज़ चैनल्स अपनी कर्म के प्रति कितने सच्चे होते हैं? 


    2 comments:

    1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (18-04-2017) को "सबसे बड़े मुद्दा हमारे न्यूज़ चैनल्स" (चर्चा अंक-2944) पर भी होगी।
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      चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
      जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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      हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
      सादर...!
      डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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      1. धन्यवाद रूपचन्द्र शास्त्री जी...

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