एक पौधे की हत्या

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  • Shah Nawaz
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  • टूटू एक छोटे से अनोखे पौधे का नाम है, उसका यह नाम रिंकू ने रखा था। रिंकू पास के गांव में रहने वाला एक छोटा बच्चा है, एक दिन सुबह-सुबह तितलियां पकड़ते हुए उसके यह सुंदर पौधा दिखाई दिया। उसी दिन से दोनों में गहरी दोस्ती हो गई। टूटू बहूत ही खूबसूरत है तथा उसके अंदर से भीनी-भीनी खुशबू आती है। उसकी सुंदरता और खुशबू रिंकू को बहुत पसंद है। रिंकू ने पापा से कहा कि उसका एक दोस्त है टूटू, वह एक छोटा सा पौधा है, जोकि तालाब के पास रहता है। उसने पापा से मालूम किया कि पापा क्या टूटू हमारे साथ हमारे घर पर नहीं रह सकता है? पापा ने कहा कि बिलकुल रह सकता है, मैं आज शहर जा रहा हूं, कल टूट को घर पर ले आएंगे।

    रिंकू खुशी-खुशी भागता हुआ टूटू के पास पहुंचा और उसको खुशखबरी सुनाई, टूट भी बहुत खुश था, लेकिन अपनी भावानाएं रिंकू के सामने व्यक्त करने में बेबस था। कुदरत ने उसको यह ताकत नहीं दी थी, लेकिन वह फिर भी खुश था। उसको अन्य जानवरों की तरह भोजन और पानी के लिए भाग दौड़ नहीं करनी पड़ती थी, वह हिलझुल नहीं सकता था, इसलिए कुदरत ने उसके लिए सारा इंतज़ाम वहीं किया था।

    वहां से एक बाबा निकले, टूटू को देखकर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। बाबा ने रिंकू से कहा कि यह पौधा उनको चाहिए, इसकी उनको काफी दिनों से तलाश थी। रिंकू ने कहा कि यह उसका दोस्त टूटू है, वह उसकी हत्या नहीं करने देगा। बाबा ने कहा कि यह तो एक पौधा है और पेड़-पौधों की हत्या कैसे हो सकती है? रिंकू ने कहा कि पेड़-पौधो को काटना भी हत्या है, उसके घर में नीम का पेड़ है। लेकिन घर बनते समय भी पापा ने उसे काटने नहीं दिया। पापा कहते हैं कि पेड़ भी हमारी तरह ही होते हैं। उनमें भी जीवन होता है, बस बोल और चल नहीं सकते हैं। पापा ने यह भी बताया था कि कई पेड-पौधे तो बोलते भी हैं, अपनी रक्षा के लिए हिल भी सकते हैं, इसलिए उनको काटना नहीं चाहिए। आपाको पता है कि घर पर मेंरी एक दोस्त झुईमुई भी है, जब में उसके पत्तों को हाथ लगाता हूं तो वह शरमाकर अपने पत्तों को बंद कर लेती है।

    बाबा ने रिंकू से कहा कि यह बहुत गुणकारी पौधा है, कई बीमारियों में इसकी दवा बनाई जा सकती है। मानव हित के लिए इसका प्रयोग होगा, बल्कि तुम्हारा दोस्त तो खुश होगा कि वह लोगों के काम आ पाएगा। उन्होंने समझाया कि नीम जैसे बड़े पेड बिना काटे ही इन्सान के काम आते हैं, इसलिए उन्हे नहीं काटा जाता है। लेकिन रिंकू बाबा से सहमत नहीं हुआ, उसने साफ-साफ कहा कि वह टूटू को नहीं काटने देगा। बच्चे की हट देखकर बाबा को भी वहां से चले जाना ही समझदारी लगी, इसलिए वह वहां से चले गए। रिंकू भी कुछ देर खेल कर शाम को आने वादा करके घर चला गया, वह बाबा के चले जाने से भी निश्चिंत था।

    लेकिन जब वह शाम को टूटू के पास गया तो देख कर अवाक रह गया। उसका प्यारा दोस्त वहां नहीं था, वह बहुत दुखी हो गया था, उसको समझ आ गया था कि वह बाबा कहीं गए नहीं थे और उसके जाने के बाद टूटू को तोड़ कर ले गए थे। रिंकू बहुत ही मायूसी के साथ बहुत देर तक वहां बैठा रहा और उसके बाद रोता हुआ घर आया। उसकी आँखों में आंसू देखकर मम्मी ने समझाया, लेकिन रिंकू हा रोना रूक ही नहीं रहा था। दिन भर उसने कुछ नहीं खाया, शाम को पापा ने आकर उसको समझाया कि बेटा उस छोटे पौधे को तुमसे ज़्यादा बीमार लोगो को ज़रूरत थी। वह मरा नहीं है, बल्कि सेहत बन कर कितने ही लोगों के शरीर में ज़िंदा रहेगा।


    - शाहनवाज़ सिद्दीकी
    email: shnawaz(at)gmail.com

     
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