A Billion Ideas ब्लॉगर्स मीट में मेरा आइडिया

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  • Shah Nawaz
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  • रविवार को दिल्ली के होटल रैडिसन ब्लू (Raddisson Blu Hotel) में ब्लॉगर्स मीट (Bloggers Meet) का आयोजन किया गया था, जिसका विषय था 'हमारा भारत कैसा होना चहिए'। उसमें मैंने पहले सत्र (Session) में  'चुनाव सुधार'' पर अपने विचार प्रस्तुत किए एवं दूसरे सत्र में अपने पाँच सदस्य समूह (Group) की तरफ़ से 'देश के धर्मनिरपेक्ष तानेबाने में सुधार' पर सुझाव प्रस्तुत किए!

    'चुनाव सुधार'' (Election Reform) पर बात करते हुए मैंने बताया कि आज के हालात में चुने गए प्रतिनिधि सामान्यत: केवल क्षेत्र की 15-20 प्रतिशत जनता का ही प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसका मतलब है कि 80-85 प्रतिशत मतदाता जीते गए प्रत्याशी के खिलाफ होते हैं। और यही कारण है कि क्षेत्र के प्रतिनिधि पूरे क्षेत्र के प्रतिनिधित्व की जगह केवल खास मतदाताओं को रिझाने के लिए कार्य करते हैं. देश में इस स्थिति में बदलाव की बेहद आवश्यकता है, जिसके लिए मैंने सुझाव दिया कि  विधानसभा अथवा लोकसभा के चुनाव का प्रत्याशी की पात्रता (Eligibility) पिछले चुनाव में प्राप्त एक निर्धारित वोट संख्या (Minimum Vote Count) के आधार पर होनी चाहिए।

    अर्थात इसके लिए किसी भी प्रत्याशी को सबसे पहले निगम पार्षद (Councillor) का चुनाव लड़ना चाहिए और विधानसभा (Assembly) के चुनाव में केवल उन ही प्रत्याशियों को अवसर मिलना चाहिए जो निगम पार्षद का चुनाव जीत चुके हों या फिर  ऐसे प्रत्याशी जिनको नगर निगम अथवा पिछले विधानसभा (Assembly) चुनाव  में कम से कम इतने वोट मिले हों कि उनकी ज़मानत बच गई हो या इसके लिए अलग से कोई 'न्यूनतम वोट संख्या' (Minimum Vote Count) निर्धारित की जा सकती है। और ठीक इसी तरह लोकसभा (Member of Parliament) चुनाव में विधानसभा चुनाव अथवा पिछले लोकसभा परिणामों को आधार बना कर प्रत्याशियों का चुनाव होना चाहिए।

    'देश के धर्मनिरपेक्ष स्वरुप' विषय पर सामूहिक चर्चा (Group Discussion) के बाद जो सुझाव मैंने पेश किये, उसमें मेरे विचार यह थे:
    1. किसी भी धार्मिक संगठन / आयोजन को सरकार की ओर से दिए जाने वाले आर्थिक लाभ पर रोक लगनी चाहिए, बल्कि इसकी जगह धार्मिक आयोजनों को सुविधाजनक (facilitate) बनाया जाना चाहिए।
    2. सार्वजानिक जगह पर धार्मिक आयोजनों पर रोक लगनी चाहिए, क्योंकि यह प्रभावित होने वाले लोगो के मनवाधिकार का उल्लंघन है और अक्सर झगडे/फसाद का कारण भी होते हैं।
    3. प्राथमिक शिक्षा के द्वारा हर एक धर्म की सही-सही जानकारी दी जानी चाहिए जिससे एक-दूसरे धर्म के विरुद्ध समाज में फ़ैली गलत धारणाओं की समाप्ती हो।
    4. सामाजिक / धार्मिक संगठनों को जवाबदेह (Accountable) बनाया जाना आवश्यक है, छुपे हुए दान पर रोक लगनी चाहिए और खातों की जानकारी सार्वजानिक होनी चाहिए। मेरा विचार है कि अगर धर्म से आर्थिक लाभ को दूर कर दिया जाए तो अनेकों मठ और उनके अंधविश्वास स्वत: समाप्त हो जाएंगे, जो कि अपनी दादागिरी की इच्छा के चलते समाज को बाटने के काम में लगे हुए हैं।

    इसके अलावा वहाँ राजीव तनेजा, इरफ़ान भाई और वंदना गुप्ता जैसे कई पुराने ब्लॉगर मित्रों से मिलना हुआ और डॉ पवन मिश्र, ज़कारिया खान और वसीम अकरम त्यागी जैसे कई ऐसे दोस्तों से भी मिलना सम्भव हुआ जिनसे पुरानी दोस्ती है मगर रु-बरु पहली बार हुए।

    राजीव भाई और वसीम भाई के कैमरे से खींचे कुछ फोटो ग्राफ्स आपकी नज़र हैं:

















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