सख्त कानून और पुलिस की मुस्तैदी भर से रुक जाएगी महिलाओं के प्रति दरिंदगी?

Posted on
  • by
  • Shah Nawaz
  • in
  • Labels: ,
  • केवल सख्त कानून, जल्द सज़ा और पुलिस की मुस्तैदी भर से बलात्कार जैसे घिनौने अपराधों को नहीं रोका जा सकता है। हर बलात्कारी को पता है कि वह एक ना एक दिन पकड़ा ही जाएगा, उसके बावजूद बलात्कार की घटनाएं इस कदर तेज़ी से बढ़ रही हैं।

    अमेरिका, इंग्लैण्ड, स्वीडन और आस्ट्रेलिया जैसे देशों में पुलिस भी मुस्तैद है, कानून भी सख्त है और फैसला भी जल्द होता है, इसके बावजूद बलात्कार के सबसे ज़्यादा मामले इन्ही देशों में होते हैं। बल्कि हिन्दुस्तान से कई गुना ज़यादा होते हैं।

    आज ज़रूरत बड़े-बड़े नारों या बड़े-बड़े वादों की नहीं है। बल्कि असल ज़रूरत चल रही कवायदों के साथ-साथ सामाजिक स्तर पर जागरूकता पैदा करने की है। ज़रूरत महिलाओं के प्रति नजरिया बदलने की है... ज़रूरत महिलाओं को भोग की वस्तु समझने जैसी सोच से छुटकारा पाने की है। ज़रूरत दिमाग से और बाज़ार से अश्लीलता समाप्त करने की है।

    ज़रूरत अपने बच्चों में से भेदभाव को समाप्त करना की है, ज़हन में घर कर गए लड़के-लड़की के फर्क को  मिटाने की है। यह लड़कों का काम है, वोह लड़कियों का काम है जैसी बातों को समाप्त करना होगा।  बचपन से ही महिलाओं की इज्ज़त करना सिखाना होगा। आखिर कब तब बेटों की दबंगता और बेटियों के छुई-मुई होने पर खुश होते रहेंगे? क्या समाज के ह्रास में और कोई कसर बाकी है?

    आज असल कोशिश महिलाओं को इंसान समझने की होनी चाहिए, मगर उसके लिए कोई आंदोलन नहीं करना चाहता है, क्योंकि उसमें राजनैतिक फायदा मिलने की गुंजाईश नहीं है...

    कम से कम शुरुआत अपने से और अपनों से तो की ही जा सकती है।





    keywords: strict law, police reform, rape victims, delhi, crime against women, sexually harassment

    4 comments:

    1. Replies
      1. शुक्रिया वंदना जी...

        Delete
    2. मैं भी आपकी बातों से सहमत हूँ।हम लोग ऐसी घटना का इस तरह से विरोध करते हैं मानो यह कोई कानून व्यवस्था की ही समस्या हो।जबकि आत्मविश्लेषण कोई नहीं करना चाहता।कड़ी सजा के प्रावधान होने चाहिए लेकिन बालात्कार के कारण हमारी सामाजिकता में भी हैं उन्हें दूर किया जाना चाहिए।

      ReplyDelete

     
    Copyright (c) 2010. प्रेमरस All Rights Reserved.