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खतरनाक आयटम!
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by
Shah Nawaz
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मम्मी के हाथों कुछ ही देर पहले पिटा बच्चा पिता के आते ही उनसे बोला-
"डैडी! क्या आप कभी अफ्रिका गए हो?"
छोटी सी बात है, अगर मेरे ब्लॉग "
छोटी बात
" पर पूरा पढना चाहें तो यहाँ क्लिक करें...
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हमारी आस्था और उसके विरुद्ध लोगों की राय पर हमारा व्यवहार
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अक्सर लोग अपनी आस्था के खिलाफ किसी विचार को सुनकर मारने-मरने पर उतर जाते हैं, उम्मीद करते हैं कि सामने वाला भी उतनी ही इज्जत देगा, जितनी कि हमारे दिल में...
Pics from Peek - तिरछी नज़र
झमाझम बारिश और तैरती गली - Floating street in the rain
-
Beautiful view of the strong wind & the rain! तेज़ हवा के साथ झमाझम बारिश के नज़ारे! दूर से नज़र आ रही यह छोटी सी खूबसूरत नहर दरअसल गुडगाँव की एक गली है! ...
संदेश
दया और न्याय का स्थान
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मुसलमानों के लिए यह ज़रूरी है कि वह जान और मान लें कि इस्लाम दया और न्याय का धर्म है. इस्लाम के लिए इस्लाम के अलावा अगर कोई और शब्द इसकी पूरी व्याख्या कर सक...
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कांग्रेसी नेताओं की अन्ना हज़ारे को धमकी
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चूहें की महिमा और मुख्यमंत्री जी
सुबह आँख खुली और हमने टीवी का बटन ऑन कर दिया। सामने एक खबरिया चैनल पर ब्रेकिंग न्यूज़ आ रही थी कि ‘मुख्यमंत्री जी को चूहें ने काटा’। देखिये ...
आप कारोबार में जितना ज़्यादा मेहनत करते हैं उतना ही कम कमाते हैं
जब आप अपने कारोबार में ज़्यादा मेहनत करते हैं तो उसके दो नुकसान होते हैं, एक तो कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए ज़रूरी नेटवर्क को बनाने के साथ-...
मुस्लिम प्रजनन दर और उसकी आड़ में जनसंख्या वृद्धि के हौव्वे की राजनीति
भारत में मु स्लिम प्रजनन दर 1992 में 4.4 थी जो कि 2019 में गिरकर 2.4 हो गई। वहीं हिन्दू प्रजनन दर जो कि 1992 में 3.3 थी वो 2019 में गिरकर 1....
अक्लमंद और कमअक्ल के 'वोट' का वज़न बराबर क्यों?
मैं भारतीय लोकतंत्र को शासन व्यवस्था में सबसे बेहतरीन समझता हूँ, मगर इसमें भी बहुत सी कमियाँ हैं। जैसे कि लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव में...
ग़ज़ल: सच अगर आया ज़ुबाँ पर फासला हो जाएगा
यूँ ना देखो दुनियाभर में तब्सिरा हो जाएगा फ़क़्त बस बैठे-बिठाए मसअला हो जाएगा होंट हिलते ही नहीं हैं आप हो जब सामने आप ही कोशिश क...
आतंकवाद और हम
आज सारे विश्व को आतंकवाद नामक दानव ने घेरा हुआ है। आमतौर पर आतंकवाद किसी वर्ग अथवा सरकार से उपजी प्रतिशोध की भावना से शुरू होता है। इसके म...
आखिर संवेदनशीलता क्यों समाप्त हो रही है?
आज समाज में धीरे-धीरे संवेदनशीलता का अंत होता जा रहा है. लोग सड़क हादसों में पड़े-पड़े दम तोड़ देते हैं और कोई हाथ मदद के लिए नहीं उठता है. ...
अब यहां शमाँ से परवाने दूर रहते हैं
अब यहां शमाँ से परवाने दूर रहते हैं, यादे महबूबी से दीवाने दूर रहते हैं। बात अन्जानों की क्या कीजिए इस महफिल में, नफरत की आग मे...
व्यंग्य: "दिल का बिल"
इश्क के फंडे का सबसे अधिक फायदा उठाया है मोबाईल फोन कंपनियों ने। इधर इश्क के परवाने मोबाईल के ज़रिए रात दिन प्यार की पींगे बढ़ाते हैं और उधर इ...
आलोचनाओं में व्यतीत होता समय
आजकल ब्लाग जगत से जुड़े हिन्दी लेखकों का अधिकतर समय एक-दूसरे के धर्म, आस्था अथवा लेखों की आलोचना करने में ही व्यतीत होता है। हालांकि लेखन जग...
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