गज़ल: इक पैकर-ए-जमाल नज़र आ रहा था वोह

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  • Shah Nawaz
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  • इक पैकर-ए-जमाल नज़र आ रहा था वोह
    जोड़े में लाल, ‘लाल’ नज़र आ रहा था वोह

    हर ज़ुबां पर तारीफ थी रूख्सार-ए-यार की
    'साहिल' तेरा अशआर नज़र आ रहा था वोह

    औरों की तरह हम भी खिल्द-ए-ख्वाह हैं यारो
    मेरी नज़र में खिल्द नज़र आ रहा था वोह

    महफिल में सब मसरूफ थे मेरी ऐबज़ूई में
    मायूस सा मगर क्यों नज़र आ रहा था वोह


    इल्म दरसे-नसीहत का हमें याद कराके
    रू-पोश धीरे-धीरे होता जा रहा था वोह

    चेहरे से तो खुशहाल नज़र आ रहे थे हम
    आसूदगी दिल से मिटाता जा रहा था वोह

    मन्ज़र ज़रा नाशादे-मुसल्लत था जनाज़े पर
    पर खुशी इश्क़-ए-फराग़त मना रहा था वोह

    हर निगाह घूमती थी मुक़ामें-अय्यार को
    इतना हसीन यार नज़र आ रहा था वोह

    - शाहनवाज़ सिद्दीकी 'साहिल'







    शब्दार्थ:
    पैकर = टुकड़ा
    जमाल = ऐसा हुस्न / ख़ूबसूरती जिसे जिस कोण से देखो तो पहले से और भी अधिक खुबसूरत नज़र आए.
    लाल = एक कीमती पत्थर का नाम
    खिल्द-ए-ख्वाह = स्वर्ग चाहने वाला
    खिल्द = स्वर्ग, जन्नत
    मसरूफ = व्यस्त
    ऐबज़ूई = ऐब निकलना, बुराई करना
    इल्म = ज्ञान
    दरसे-नसीहत = अच्छी बातों का पाठ
    रू-पोश = गायब
    आसूदगी = संतोष
    नाशाद = दुःख
    मुसल्लत = प्रभावी
    फराग़त = समाप्त (होना / करना)
    मुक़ाम = स्थान, पद इत्यादि
    अय्यार = चालाक / बेवक़ूफ़ बनाने वाला / रूप बदलने वाला





    keywords: gazal, hindi, urdu Ghazal

    12 comments:

    1. shah-nawaj ji achchhe shabdon ka prayog
      evam shabdon ki jaankri ke liye aabhar

      http://sanjaykuamr.blogspot.com/

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    2. Behtrin Ghazal "पैकरे-जमाल". Wah kya baat hai.

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    3. भाई शाहनवाज जी आपकी पोस्ट पढ़कर तो हम उर्दू भी मुफ्त में सिख जायेंगे इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है / हम नांगलोई पहुँच चुके हैं ,आप सब के स्वागत के लिए आप सब कहाँ हैं ?

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    4. वाह शायर साहब वाह

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    5. अच्छी रचना.... साधुवाद...

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    6. Uru ke bahut kehre shabdo ka prayog kiya hai aapne, lekin achhi baat yeh hai ki unka matlab bhi likh diya hai. Very Nice.

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    7. Uru=Urdu
      maf karna, Urudu likhna chah raha tha galti se Uru likha gaya.

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