इंतज़ार

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  • Shah Nawaz
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  • मुझे इंतज़ार है

    साहिल को ढूँढती है, मेरी डूबती नज़र,
    ना जाने कौन मेरा, समंदर के पार है।

    शायद नहीं उस पार है, मेरी वफा-ए-ज़िन्दगी,
    क्यूँ कर के फिर उस शख्स का, मुझे इंतज़ार है।





    तेरे इंतज़ार में

    नज़रें यह थक गई हैं, तेरे इंतज़ार में,
    हर शै गुज़र गई है, तेरे इंतज़ार में।

    आकर तो देख ले, मेरे बेचैन दिल का हाल,
    कहीं जाँ ना निकल जाए, तेरे इंतज़ार में।


    - शाहनवाज़ सिद्दीकी "साहिल"

    30 comments:

    1. bahoot khoob !

      waise ab intezaar khatm samjhen !!!!!!@@@

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    2. नज़रें यह थक गई हैं, तेरे इंतज़ार में,
      हर शै गुज़र गई है, तेरे इंतज़ार में।
      *
      *
      *
      KHOOB....

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    3. नज़रें यह थक गई हैं, तेरे इंतज़ार में,
      हर शै गुज़र गई है, तेरे इंतज़ार में।

      आकर तो देख ले, मेरे बेचैन दिल का हाल,
      कहीं जाँ ना निकल जाए, तेरे इंतज़ार में।

      Mast gazal hai Shahnawajji..... lekin inzaar kiska hai?????

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    4. is blog ka naam छोटी बात kyon rekha hai? Kyonki baate to badi likhi hain.

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    5. सुमित जी,

      छोटी बात से मेरा मतलब कम शब्दों वाला या फिर हलके-फुल्के लेख से है. हालाँकि अक्सर छोटी बात के मायने बड़े ही हुआ करते हैं :-)

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    6. आकर तो देख ले, मेरे बेचैन दिल का हाल,
      कहीं जाँ ना निकल जाए, तेरे इंतज़ार में।
      वाह दोस्त बीते हुवे दिन याद आने को है !
      गज़ब !

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    7. शानावाज़ भी तफरी में है !

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    8. शाह जी अधिक इन्तजार नहीं करना चाहिए..... लगता है गुज़रे जमाने की झांकी हैं यह.
      दोनों शेर बहुत अच्छे है.

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    9. अरे आप का इंतज़ार अभी तक ख़त्म नहीं हुआ.

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    10. इंतज़ार तो ऐसे ही होता है...बढ़िया ग़ज़ल...बधाई

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    11. दोनो गजले बहुत पसंद आई अति सुंदर जी.

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    12. har pankti ..'waah' ke kabil hai :)

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    13. तस्वीर ही काफी थी। कुछ न कहते,तब भी चलता।

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    14. लाजवाब । आपको स्वतंत्रता दिवस की ढेरों शुभकामनाएँ.

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    15. आकर तो देख ले, मेरे बेचैन दिल का हाल,
      कहीं जाँ ना निकल जाए, तेरे इंतज़ार में

      सुभानाल्लाह ..!

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    16. रक्षा बंधन पर हार्दिक शुभकामनाएँ.

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    17. रक्षाबंधन पर हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
      बहुत बढ़िया लिखा है आपने! शानदार पोस्ट!

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    18. .
      इंतज़ार में जो मज़ा है वो दीदारे यार में नहीं...
      .

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    19. शरीफ़ साहब आपकी "वेदकुरान" के लेख (Abut Namaz on Road ) पर दी गयी टिपण्णी से असहमत होकर लिख रहा हूँ,
      "हज़रत इब्ने उमर ( रज़ि० ) फ़रमाते हैं कि अल्लाह के रसूल ( सल्ल० ) ने 7 जगहों पर नमाज़ पढ़ने से मना फ़रमाया है।
      (1) नापाक जगह ( कूड़ा गाह )
      (2) कमेला ( जानवरों को ज़िबह करने कि जगह )
      (3) क़ब्रिस्तान
      (4) सड़क और आम रास्तों में
      (5) गुसल खाना
      (6) ऊंट के बाड़े में
      (7 ) बैतुल्लाह कि छत पर " ( तिर्मज़ी)
      इस हदीस में नमाज़ का ज़िक्र किया गया है ( जुमे की नमाज़ का भी)
      एक और हदीस है कि फैसले के दिन मोमिन के तराज़ू में जो अमल रखे जाएँगे, तो उनमें सबसे वज़नी अमल ( अखलाकी अमल ) होगा।
      सड़क या आम रास्ता रोक कर किसी भी तरह की इबादत करना कैसे अखलाकी अमल हो सकता है?
      हमारे देश में सड़कों तक दुकान लगाना, सड़क पर ठेला लगाना आदि-आदि को अतिक्रमण कहा जाता है और उनके ख़िलाफ़ अभियान चलाया जाता है, हालंकि वे लोग भी अपनी रोज़ी रोटी कमाने की खातिर करते हैं कोई गुनाह नहीं करते फिर भी उनके इस कार्य से आम आदमी के मानवाधिकार का हनन होता है, और मानवाधिकार की बुनियाद इस्लाम है,
      इससे यह साबित होता है की सड़क रोक कर नमाज़ पढ़ना चाहे एक बार हो या अनेक बार अखलाक़ी अमल नहीं हो सकता।
      और इस्लाम का प्रचार करना कोई वाहवही लूटना नहीं होता।
      हमारे लिए कुरआन और हदीस की दलील हुज्जत है, किसी आदमी का निजी विचार या अमल नहीं।
      अपने विचार के हक में कुरआन और हदीस से दलील देना आपकी दिनी ज़िम्मेदारी है।
      यहाँ मेरा मक़सद आपके दिल को किसी तरह की ठेस पहुँचाना नहीं है। आप मेरे बुज़ुर्ग हैं आपका एहतराम करना मेरा फ़र्ज़ है ।

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    20. दोनों रचनाएँ अच्छी लगीं ......
      अच्छा लगा पढ़कर।

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